- वह मतवाला

वह मतवाला

वह मतवाला मधुशाला से हाला पीकर आता है, सड़क किनारे बिना सहारे खड़ा खड़ा गिर जाता है।
कम न मारा गम ने इसको हमदम भी है छोड़ दिया, सरवर होकर इनसे इनके अपनों ने मुँह मोड़ लिया। दिशाहीन गर्दिश में जीना कभी हँसता कभी रोता है, सड़क किनारे बिना सहारे खड़ा-खड़ा गिर जाता है ।।
ताल्लुक अब न रहा किसी से ये उस्तबार आजाद है, लज्जते अलम की जिंदगी न अब कहीं फरियाद है। हमवशी से नहीं शिकायत न ही रिश्ता-नाता है, सड़क किनारे बिना सहारे खड़ा-खड़ा गिर जाता है ।।
तहम्मुल कर चुका है आज ये गर्दिशे अय्याम से, बेमेहर हो चुका है आज ये हर आदमी के नाम से । राहत तलवी तुरबत का ये रह रहकर उकताता है, सड़क किनारे बिना सहारे खड़ा-खड़ा गिर जाता है ।।



सैलाबे-बला में
सैलाबे-बला में काम जो आए, वो खुदा-परस्ती इन्सां है । सादीक आसना है सबका, अन्दोह, रूबा वो इन्सां है ।।
है अजीज गाहे अनाम है, और इमान के पक्के हैं । हर वक्त मदद का लिए मुरादा, यही एक ही मनसा है ।। सादीक ।।
अदावत करने वाले का भी वो. हिफाजत करते रहते हैं । उसे इखलाश देते हैं, कोई माजूर जो इन्सां है ।। सादीक ।।
लाइके-ताजीर का तकदीर, अमल से जो बदल डाले । तजल्ली मानने वाले, वाइज है वो इन्सां है ।। सादीक ।।
आज तफर्का

आज तफर्का सब में सब को, सिर्फ स्वार्थ का कायल है । मन में आन बगल में छूरी, मानव से मानव घायल है ।।
रस्मोराह का पाक इरादा, गुजर गाह सब बन्द है । नाहक है आजार में इन्सां, हंजार से लगत्ता पागल है ।
दुश्वार किया जांदार ही जीना, हमराज जान का गाहक है । ऊपर से जो बना रहनुमा, वो अन्दर से हाइल है ।।
अस्ले-ईमा से नफरत करता, नामी जो नम्माम है । इकराम का चाहत औरों से, और सभी परस्पर कामिल है ।।